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आंगनबाड़ी कार्मिकों को मिलेगा दो लाख रुपये का मुफ्त दुर्घटना बीमा- सीएम धामी

देहरादून- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों एवं सहायिकाओं के मानदेय में की गई बढ़ोतरी को लेकर आज महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत कार्यरत आंगनवाड़ी कार्यकर्त्रियों एवं सहायिकाओं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं विभागीय मंत्री रेखा आर्य का आभार व्यक्त किया ।

राजधानी देहरादून के रेस कोर्स स्थित सनातन धर्म इंटर कॉलेज ( बन्नू स्कूल) में आयोजित भव्य कार्यक्रम में आज गढ़वाल मंडल की लगभग 14 हज़ार आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों पहुंची थी जिन्होंने मानदेय बढ़ोतरी को लेकर  सीएम पुष्कर सिंह धामी और विभागीय मंत्री रेखा आर्य को चांदी का मुकुट पहना कर आभार जताया।

इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने  आंगनड़ी कार्मिकों के मानदेय बढ़ाने की घोषणा को अमली जामा पहनाते हुए गत माह के बढ़े हुए मानदेय को मंच से ही ऑनलाइन डीबीटी के माध्यम से एक क्लिक पर प्रदेश की 335614 आंगनवाड़ी कार्यकर्त्रियों के खाते में स्थानांतरित किया। साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं के लिए घोषणाओं की झड़ी लगा दी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहां कि उनकी सरकार ने आंगनवाड़ी कार्मिकों को न सिर्फ विभाग की बल्कि सामुदायिक स्वास्थ्य एवं जागरूकता अभियान की रीढ़ माना है ।  इसलिए उनके हक में प्रति कार्मिक रु0 12000/- प्रोत्साहन राशि , मानदेय बढ़ाये जाने के अलावा उनको 180 दिन का मातृत्व अवकाश दिए जाने, सेवानिवृत्ति पर आँगनवाड़ी कल्याण कोष से एकमुश्त धनराशि दिए जाने तथा सेनेटरी नैपकिन की बिक्री पर प्रति पैकेट प्रोत्साहन राशि दिए जाने संबंधी निर्णय  लिए गए।

इसके अलावा इस दौरान आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के लिए बड़ी घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ने आंगनवाड़ी कार्मिकों को 2 लाख रुपये की जीवन बीमा पॉलिसी से आच्छादित करने की घोषणा की । साथ ही उनके समयबद्ध मानदेय भुगतान एवं उसकी सूचना को पूर्णतः डिजिटल करने तथा सुपरवाइजर पद के लिए आवेदन को पूर्णतः डिजिटल करने की भी घोषणा की।

वहीं मौके पर विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि मुख्यमंत्री ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों और सहायिकाओं के लिए जो ऐतिहासिक निर्णय लिए है उसी का आभार व्यक्त करने के लिए प्रदेश भर की लगभग 35 हज़ार आंगनवाड़ी कार्मिको द्वारा ‘आभार अभिव्यक्ति समारोह’ आयोजित किया गया है । जिसे कि बीते पांच वर्षों में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग की ‘सफलता की गूंज’ के रूप में देखा जाना चाहिए।

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