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Uttarakhand : सचिवालय से 20 करोड़ के बीज घोटाले की फाइल गायब, पढ़े क्या है पूरा माजरा 

Uttarakhand

देहरादून – आपने कई बड़े बड़े घोटाले के बारे में सुना होगा । लेकिन आज आपको राज्य के  20 करोड़ के एक ऐसे घोटाले के बारे में बताएंगे। जिसकी फाइल ही राज्य सचिवालय से गायब हो गई है । एक तरह से यह भी कह सकते हैं कि उत्तराखंड राज्य में हुए 20 करोड़ के इस बड़े घोटाले में एक और बड़ा घोटाला हो चुका है । हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के चर्चित ₹20 करोड़ के बीज घोटाले की । जिसे लेकर आरटीआई के तहत RTI कार्यकर्ता हरिशंकर पांडे द्वारा मांगी गई जानकारी के बाद यह बड़ा खुलासा हुआ है । आपको जानकर हैरानी होगी कि इस करोड़ों के घोटाले की फाइल सचिवालय से हालही में नहीं बल्कि पिछले 3 सालों से यानी कि साल 2020 से ही गायब है ।

अब इससे पहले कि हम आपको यह बताएं कि आखिर यह फाइल पिछले 3 सालों से गायब कैसे हो गई । उससे पहले आपको यह बता देते हैं कि आखिर बीस करोड़ का यह बीज घोटाला है क्या ?
उत्तराखंड का 20 करोड़ का बीज घोटाला
यह बड़ा घोटाला सरकार की एक विशेष योजना के तहत हुआ जिसका उद्देश्य किसानों को मुफ्त बीज प्रदान करना था। लेकिन साल 2015- 16 में जब किसानों को यह बीज बांटे गए तो किसानों की ओर से यह कहा गया कि यह बीज अच्छी गुणवंता के नही  हैं । ऐसे में जब सरकार ने इन बीज की टेस्टिंग की तो यह साफ हो गया कि किसान सही कह रहे हैं । जिसके बाद साल 2017 में तत्कालीन अपर सचिव कृषि आशीष कुमार श्रीवास्तव और कुमाऊं कमिश्नर के अध्यक्षता में इस पूरे प्रकरण की जांच हुई । उस दौरान आय से अधिक संपत्ति के मामले में वर्तमान में जेल में दिन काट रहे IAS रामविलास यादव कृषि विभाग में अपर सचिव थे । तब रामविलास यादव को इस पूरे प्रकरण को गंभीर बताते हुए इसकी एसआईटी जांच करने के लिए पत्र लिखा गया । लेकिन उन्होंने इस पर 2 सालों तक कोई एक्शन लेना जरूरी नहीं समझा । बस इतना जरूर की तत्कालीन बीच प्रमाणीकरण विभाग के निदेशक को पद से हटा दिया गया  । इसके बाद साल 2020 तक अचानक इस पूरे घोटाले के जुड़ी फाइल IAS रामविलास यादव के कार्यालय से गायब हो गई।

अब आपको यह बताते हैं कि आखिर एक घोटाले की फाइल जो साल 2020 से IAS रामविलास यादव के कार्यालय से गायब है उसका खुलासा अब जाकर साल 2023 में कैसे हुआ ।
ऐसे हुआ फाइल गायब होने का खुलासा
 इस पूरे बीज घोटाले को लेकर चल रही एसआईटी जांच के संबंध में आरटीआई कार्यकर्ता हरिश्चंद्र पांडे ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत बीज प्रमाणीकरण अभिकरण में बीज बिक्री एवं टैग से संबंधित कथित घोटाले की मूल पत्रावली की मांग की  थी। लेकिन विभाग से जब लंबे समय तक कोई जवाब नही मिला तो यह मामला राज्य सूचना आयोग जाने की स्टेट इनफॉरमेशन कमिशन तक पहुंच गया । इसके बाद इस पूरे प्रकरण पर यह जवाब दिया गया कि इस पूरे प्रकरण की फाइल 14 अगस्त साल 2020 से ही गायब है । फाइल का आखिरी लोकेशन IAS रामविलास यादव का कार्यालय ट्रैक किया गया है । जो तत्कालीन अपर सचिव थे ।
ऐसे में इस बड़े घोटाले से जुड़ी फाइल के लापता होने का मामला प्रकाश में आने के बाद अब राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने राज्य के कृषि सचिव को इस पूरे प्रकरण की जांच करने के साथ ही इस पूरे प्रकरण की नई फाइल तैयार करने के निर्देश दिए है । इसके साथ ही लोक सूचना अधिकारी को भी निर्देश दिए है कि अगली सुनवाई जो की 25 सितंबर को होगी उसमें पर फाइल मूवमेंट के रजिस्टर के साथ उपस्थित रहें ।
बहरहाल 20 करोड़ के इस बड़े घोटाले की फाइल का राज्य सचिवालय से गायब हो जाना कई बड़े सवाल खड़े करता है । सबसे बड़ा सवाल तो यह की कहीं यह फाइल कई सफेद पोश और वरिष्ट अधिकारियों को बचाने के मकसद से जानबूझकर तो नही गायब कर दी गई  । वही इस पूरे प्रखंड में दूसरा अहम सवाल यह है कि आखिर यह फाइल गायब की तो किसने की । और अगर फाइल 3 साल पहले गायब भी हो गई थी तो इन तीन सालों में इतने बड़े घोटाले को लेकर क्या किसी वरिष्ठ अधिकारी कृषि मंत्री के मन में सवाल तक नहीं आया होगा । आखिर ऐसा कैसे हो सकता है ?

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