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सीएम से लेकर मंत्री-विधायको का दिल्ली में डेरा।

देहरादून- उत्तराखंड में नए मुख्यमंत्री को लेकर सरगर्मियां बहुत तेज हैं ऐसे में देश की राजधानी दिल्ली में उत्तराखंड के नेताओ का तांता भी बढ़ने लगा है क्योंकि उत्तराखंड के तमाम नेता दिल्ली में मौजूद हैं। उत्तराखंड के लगभग सभी विधायक इस वक्त दिल्ली में मौजूद हैं अधिकांश लोग दिल्ली में मौजूद होने का सबसे बड़ा कारण मंत्री पद के लिए लॉबिंग माना जा रहा है भाजपा में इस समय 45 में से 1 दर्जन के करीब ऐसे विधायक हैं जो 3 बार से ज्यादा के विधायक हैं ऐसे में वह चाहते हैं कि मंत्री पद के तौर पर उनकी दावेदारी पुख्ता हो जाए इसलिए आलाकमान के तमाम नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं।

 

वहीं उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और प्रदेश के कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी दिल्ली पहुंच गए हैं दोनों ही नेताओं को आलाकमान ने दिल्ली में बुलाया है यह दोनों नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलकर चुनाव को लेकर पूरा फीडबैक उनके सामने रखेंगे। राज्य में नए मुख्यमंत्री के चुनाव को लेकर भी इन दोनों नेताओं से आलाकमान की मुलाकात और बातचीत होगी

 

उत्तराखंड के सभी मंत्री और वरिष्ठ विधायक भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बी एल संतोष और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर रहे हैं हर कोई मंत्री पद को लेकर अपनी दावेदारी पुख्ता करना चाहता है। कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी सुबोध उनियाल अरविंद पांडे रेखा आर्य बिशन सिंह चुफाल सतपाल महाराज समेत तमाम नेता आलाकमान से मुलाकात कर चुके हैं

 

नए मुख्यमंत्री को लेकर विधायक भी अपना फीडबैक आलाकमान के सामने रख रहे हैं जिससे कि नए मुख्यमंत्री के चुनाव में सभी समीकरणों का ख्याल रखा जाए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को युवा नेतृत्व के तौर पर मुख्यमंत्री बनाया गया था ऐसे में इस बार भी अधिकांश विधायक यह चाहते हैं कि किसी युवा को ही मुख्यमंत्री के तौर पर मौका मिलना चाहिए। दिल्ली में तमाम मंत्रियों के साथ हो 1 दर्जन से ज्यादा विधायक मोजूद है।

 

उत्तराखंड भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने आलाकमान से यह भी कहा है कि प्रदेश में 5 साल के लिए एक स्थाई मुख्यमंत्री के तौर पर किसी अनुभवी व्यक्ति को जगह दी जाए तो ज्यादा बेहतर होगा क्योंकि 2024 में लोकसभा चुनाव भी भारतीय जनता पार्टी को जीतना है भविष्य में नगर निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव भी होने हैं जिस पर जितना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती होगी

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