यह अपने कार्यकाल में जहां जहां भी रहे वहां उनकी साइकिल हमेशा उनके साथ रही है हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के 2004 बैच के आईएएस अधिकारी बीवीआरसी पुरुषोत्तम की इससे पूर्व वह पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के पीएस (personal secretary) के रूप में सेवाएं दे रहे थे. उन्हें कुछ महीने पहले ही केंद्र से रिलीव कर दिया गया था दिल्ली में भी वह अक्सर भारी ट्रैफिक से बचने के लिए अपनी साइकिल से ही दफ्तर पहुंचा करते थे पुरुषोत्तम पहले भी उत्तराखंड में साल 2019 में गढ़वाल कमिश्नर के पद पर रहते हुए अपनी सेवाएं दे चुके हैं. बीवीआरसी पुरुषोत्तम साल 2012 में देहरादून के जिलाधिकारी रह चुके हैं. उनकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल दी जाती है. वर्तमान में डॉक्टर पुरुषोत्तम सहकारिता मत्स्य पशुपालन ग्रामीण विकास सचिव के पद पर कार्यरत है इसके साथ ही वह राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना प्रोजेक्ट के चीफ प्रोजेक्ट डायरेक्टर भी है वह हर रोज सुबह घर से अपना लैपटॉप का बैग और हेलमेट लगाकर अपने राजपुर रोड स्थित राज्य समेकित कार्यालय समय से पहले साइकिल से ही पहुंचते हैं और साइकिल से ही वापस शाम को घर पहुंचते हैं
डॉ पुरुषोत्तम न केवल फिट और स्वस्थ रहने के लिए साइकिल चलाते हैं, बल्कि वास्तव में इसका आनंद लेते हैं। वे बस अपना हेलमेट लगाते हैं, अपनी साइकिल उठाते हैं और साइकिल से घूमते हैं और देहरादून शहर की खोज करते हैं। बातचीत में उन्होंने बताया उत्तराखंड दुनिया का सबसे बड़ा साइकिलिंग ट्रैक है वह साइकिलिंग फिट रहने के लिए करते हैं सुबह 4:00 से 5 बजे रोज देहरादून से मालदेवता की तरफ लगभग 20 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं उसके पश्चात घर से दफ्तर भी साइकिल में ही आया जाया करते हैं इन दिनों बरसात का मौसम चल रहा है लेकिन उसके बावजूद भी बरसात उनके साइकिलिंग के जुनून को कम नहीं कर पाती है साइकिलिंग का जुनून इस प्रकार है कि कभी-कभी वह 40 से 50 किलोमीटर साइकिल का सफर ढाई घंटे में तय कर लेते हैं.
उत्तराखंड कैडर के आईएएस अधिकारी डॉक्टर बीवीआरसी पुरुषोत्तम कई भाषाओं के ज्ञाता भी हैं वह जहां बहुत अच्छी फ्रेंच भी बोल लेते हैं वही हिंदी अंग्रेजी तमिल और गढ़वाली बोली में भी उनकी अच्छी पकड़ है पुरुषोत्तम: जून 2019 में गढ़वाल कमिश्नरी के 50 साल पूरे होने पर सुनैरो गढ़वाल कार्यक्रम आयोजित हुआ था. सरकार ने पौड़ी में इस उपलक्ष्य में कैबिनेट की बैठक की थी. मंत्रियों, विधायकों ने अपने स्टेटस तो गढ़वाली में लिखे थे, लेकिन ज्यादातर लोग हिंदी में भाषण देते नजर आए. तबके गढ़वाल आयुक्त बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने अपना संबोधन गढ़वाली भाषा में दिया था.