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कुछ इस तरह टिहरी वासियों ने संजोई पुरानी टिहरी की यादें , रिपोर्ट देखें

देहरादून : उत्तराखंड राज्य का टिहरी शहर आज देश और दुनिया में विशाल टिहरी बांध और अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है । देश-विदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक खूबसूरत नई टिहरी का दीदार करने के लिए पहुंचते हैं । लेकिन इतिहास के पन्नो को खंगाले तो असल टिहरी तो आज से 18 साल पहले इस विशाल टिहरी झील में कहीं समा गया।

हालांकि आज पुरानी टिहरी को जल समाधि लिए हुए 18 साल बीत चुके हैं । लेकिन टिहरी वासियों के दिल और दिमाग में आज भी पुरानी टिहरी की यादें ताजा है।

टिहरी की याद को जिंदा रखने के लिए देहरादून में निवासरत टिहरी निवासी सुबोध बहुगुणा ने अपने शिक्षाविद पिता गोपाल राम बहुगुणा के कहे अनुसार टिहरी का हुबहू ‘एक थी टिहरी ‘ रेप्लिका अपने घर के प्रांगण में तैयार किया हुआ है । यह इतना जीवंत दिखता है कि इसको देखकर हर कोई भावुक होकर पुरानी टिहरी को याद कर इसमें अपना अपना घर खोजने लगता है।

हर साल की तरह 31 जुलाई को इस बार भी टिहरी निवासी सुबोध बहुगुणा के देहरादून स्थित आवास में पुरानी टिहरी की रेप्लिका को देखकर टिहरी वासियों ने पुरानी टिहरी को याद किया ।

पुरानी टिहरी के हर गली नुक्क्ड़, हर चौबारे, पुल, पत्थर , इमारत को इस रेप्लिका में देखना टिहरी वासियों को गर्व का अहसास कराता है कि देश के हित के लिए उन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है। टिहरी वासियों के खेत खलियान सब बांध के लिए डूबे। उनकी संस्कृति डूबी उनकी विरासत डूबी ।

‘एक थी टिहरी’  रेप्लिका तैयार करने वाले सुबोध बहुगुणा कहते है कि भिलंगना भागीरथी के संगम पर बसी टिहरी भले ही जलमग्न हो गई हो पर टिहरी वालों के मन में वह हमेशा जिंदा रहेगी।

 

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