उत्तराखंडदेश-विदेशबड़ी खबरसामाजिकस्वास्थ्य

देहरादून- शहर के कई इलाकों में घरों में पहुंच रहा अशुद्ध पेयजल , सर्वे में हुआ बड़ा खुलासा

देहरादून –  पिछले 32 सालों से देहरादून वासियों के घरों तक पहुंचने वाले पेयजल की शुद्धता को लेकर स्पेक्स: संस्था की ओर से सर्वे किया जा रहा है ।जिसके तहत इस साल भी संस्था ने अपने अभियान (जन-जन को शुद्ध जल) के तहत देहरादून नगर निगम क्षेत्र के 70 वार्डो तथा उसमें सम्मिलित मलिन बस्तीयों में जल के नमूने एकत्रित कर परीक्षण किया।

गौरतलब है कि स्पेक्स संस्था के संस्थापक डॉ0 बृज मोहन शर्मा ने बताया कि इस सर्वे में सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि देहरादून शहर से लिए गए 97 पेयजल के नमूनों में से 92 नमूने पीने योग्य नहीं पाए गए हैं । यानी की अशुद्ध मिले हैं ।

यही नहीं देहरादून शहर के विभिन्न VIP व्यक्तियों के घरों से लिया गया पेयजल का नमूना भी अशुद्ध पाया गया है। इसमें क्लोरीन की मात्रा काफी अधिक मिली है जो सेहत के लिए हानिकारक है । क्लोरीन का मानक 0.2 mg/l होता है।

इन VIP इलाकों में अधिक मिली क्लोरीन की मात्रा –

सचिवालय में 1.0, जिलाधिकारी आवास 1.2, गणेश जोशी 1.0, खजानदास 1.0, विनय गोयल 0.4, धारा चौकी 0.8, जिला जज 0.6, सतपाल महाराज 1.0, विनोद चमोली 0.4 mg/l पायी गई। जिसके कारण यह पानी बिलकुल पीने योग्य नहीं माना जा सकता।

वहीं शहर के इन 50 स्थानों पर पानी में क्लोरीन नहीं पाया गया जो निम्न प्रकार है:-

कृष्णनगर, प्रेमनगर, भूड गाँव पंडितवाडी, इन्दिरानगर, बसंत विहार, ईदगाह, तिलक रोड़, मित्रलोक कॉलोनी, विजय पार्क, राजीव कालोनी, कुम्हार मंडी, यमुना कॉलोनी, शिव कालोनी, सैय्यद मौहल्ला, बंगाली लाईब्रेरी रोड़, करनपुर, नई बस्ती, नव विहार कॉलोनी, सिरमौर मार्ग, राजेन्द्र नगर, गढ़ी कैंट रोड़, हाथी बड़कला, कारगी ग्रांट, अशोक विहार, रेस्ट कैम्प, न्यू रोड़, संजय कॉलोनी, जोहड़ी बांव, किशनपुर , भंडारी बाग, कालिन्दी इन्क्लेव, विवेक विहार, निरंजनपुर, ट्रांसपोर्ट नगर, इन्दिरा कॉलोनी, क्लेमनटाऊन, चन्द्रमणी, नया गांव सेवला खुर्द , शिमला बाईपास, बंजारा बस्ती, केवल विहार, कालीदास रोड़, सहस्त्रधारा रोड़।

देहरादून शहर के इन 5 स्थानों पर क्लोरीन की मात्रा मानको के अनुरूप पाई गई:-

इन्द्रर रोड़, मद्रासी कॉलोनी, टपकेश्वर मार्ग, पूर्व पटेलनगर, तथा कैनाल रोड़ हैं।

41 स्थानों पर क्लोरीन की मात्रा मानकों से कई गुना अधिक पाई गई: –

जिलाधिकारी आवास पर 1.2, सचिवालय उत्तराखण्ड में 1.0, गणेश जोशी 1.0, खजान दास 1.0, सतपाल महाराज 1.0 पाई गई, जबकि श्रीरामपुरम में 0.8, झण्डा मौहल्ला 0.8, विजय कॉलोनी 0.8, रेसकोर्स 0.8, राजपुर 0.8, सुभाषरोड़ 0.8, माजरा 0.8, धारा चौकी 0.8 mg/l पाई गई। न्यू पटेलनगर, यमुना कॉलोनी, पार्क रोड़, सेवक आश्रम रोड़, तिलक रोड़, न्यू मार्केट, त्यागी रोड़, कैनाल रोड़, केशव रोड़, जिलाअध्यक्ष, लक्ष्मी रोड़ आदि में 0.6 Mg/l पाई गई।

निम्न स्थानों पर क्लोरीन की मात्रा 0.4 Mg/l पाई गई:-

गोविन्दगढ़, चुक्खुवाला, आकाशदीप कॉलोनी, नैशविला रोड़, टैगोरविला, कौलागढ़, अजबपुर कलां, चन्दर नगर, आराघर, अजबपुर खुर्द, जाखन, लक्खीबाग, इन्द्रेश नगर, कांवली गांव, विनय गोयल, विनोद चमोली, आदि।

सबसे अधिक टोटकल कालीफॉर्म निम्न स्थानों पर पाई गई:-

बंजारा बस्ती-42, केवल विहार-24, सहस्त्रधारा रोड़-52, भंडारीबाग-24, संजय कॉलोनी-22, पटेलनगर-24, चमनपुरी-20, MNP/100 ml पाया गया।

पंडितवाडी-18, प्रेमनगर-12, बसंत विहार-12, प्रकाश नगर-14, शिव कॉलोनी-14, राजीव कॉलोनी-14, विजय पार्क-18, अशोक विहार-16, कारगी ग्रांट -14, कालिंदी एन्क्लेव-18, ट्रांसपोर्ट नगर-22, शिमला बाईपास-14, इन्दिरा कॉलोनी-12, निरंजनपुर-14, जोहडी गांव-12, किशनपुर-12, हाथी बड़कला व सिरमौर मार्ग-12 MNP/100 ml पाया तथा नर्मदा एन्क्लेव व नव विहार में 10 पाया गया। जबकि टोटल कालीफॉर्म का मानक 10 MNP/L होता है।

फीकल कालीफॉर्म निम्न स्थानों पर पाया गया:-

बंजारा बस्ती-14, केवल विहार-12, सेवला खुर्द व सहस्त्रधारा-10, ट्रांसपोर्ट नगर, गढ़ी कैंट, बंगाली मौहल्ला, चमनपुर में-8 MNP/100 ml पाया गया। जबकि पंडितवाडी, ईदगाह, प्रकाष नगर, अषोक विहार, निरंजनपुर में-6 तथा बसंत विहार, विजय पार्क, सिरमौर मार्ग, संजय कॉलोनी, किशनपुर, कालिंदी एन्कलेव, कालीदास रोड़ में- 4 MNP/100ml पाया गया।
प्रेमनगर-2, शिव कॉलोनी-4, राजीव कॉलोनी-4, हाथीबड़कला-2, कारगी ग्रांट-2, जोहड़ी गांव-2, भंडारीबाग-12, इन्दिराकॉलोनी-2, सीमाद्वार-8, ,MNP/100 ml पाया गया।

बता दें कि पानी में कठोरता कई तरह से स्वास्थ्य को प्रभावित करती है जैसे –

1. बालों का समय से पहले सफेद होना और त्वचा पर झुर्रियां पड़ना।
2. किडनी स्टोन के मामले बढ़ते हैं।
3. लीवर, किडनी, आंखों, हड्डियों के जोड़ों और पाचन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
4. इस कठोरता के कारण गीजर, पानी की टंकियां और अन्य पानी की पाइपलाइनें चोक हो जाती हैं।
5. गीजर में पानी गर्म करने में अधिक बिजली की खपत होती है, जहां अक्सर कठोर पानी का उपयोग किया जाता है।
6. घरेलू एलपीजी की खपत भी कठोर पानी से खाना पकाने में अधिक होती है।

पीने के पानी में फीकलकोलिफोम उपस्थिति का हानिकारक प्रभाव-

1. पेट में कीड़े
2. पेट के अन्य रोग
3. कुछ मामलों में दस्त, पीलिया, उल्टी और यहां तक कि हेपेटाइटिस भी
4. क्लोरीन की उच्च मात्रा निम्न प्रकार से स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैरू
5. बालों का समय से पहले सफेद होना, त्वचा में सूखापन, अल्सर और पेट की अन्य बीमारियां और यहां तक कि कैंसर के मामले भी ।

 

 

 

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button